SHOORSAINI | कौन होते हैं शूरसैनी ?

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SHOORSAINI | कौन होते हैं शूरसैनी ?


शूरसैनी जाति के लोग हरियाणा और पंजाब में मूल रूप से पाए जाते हैं, यह लोग सैनी समाज के लोग होते हैं जो अपने आप को अपने राजा; महाराजा शूर सैनी जी से जोड़कर देखते हैं , यह लोग अपने आप को शूरसैनी राजाओं के वंशज बताते हैं । यह लोग अपने आप को गर्व से चंद्रवंशी शूरसैनी कहते हैं ।

ShoorSaini
ShoorSaini community 

शूरसैनी का मतलब वीर बहादुर योद्धा होता है जो योद्धा किसी भी परिस्थिति में पीछे नहीं हटते वो शूरसैनी योद्धा होते हैं , पौराणिक कल में शूरसैनी भगवान श्री कृष्ण जी के योद्धा हुआ करते थे और इन योद्धाओं की चर्चा आपको हिंदू ग्रंथो में मिल जाएगी ‌। कई हिंदू ग्रंथो में भगवान श्री कृष्ण जी की सेना का जिक्र किया जाता है तो यह भी बताया जाता है कि यह सेना शूरसैनीयों की सेना होती थी, जो अपने राजा श्री कृष्णा की रक्षा करती थी और उनके लिए युद्ध लड़ती थी और इस सेना ने महाभारत के युद्ध में भी बड़ी भूमिका निभाई थी ।

Maharaja Shoor Saini
Maharaja Shoor Saini 

शूरसैनी वंशावली में कई शूरवीर योद्धाओं ने जन्म लिया है , जैसे की महाराजा शूर सैनी और महाराज पोरस सैनी , इन चंद्रवंशी शूरसैनी राजाओं ने शूरसैनीवंश को गौरवशाली इतिहास दिया है और कई शूरवीर राजा तो ऐसे हैं जिनका जिक्र भारत के इतिहास में नहीं होता पर शूरसैनी इतिहास में उनकी बड़ी भूमिका रही है । शूरसैनी वंश सम्राट शूरसेन से शुरू हुआ था और आपको बता दें कि उत्तर भारत की सैनी जाति के लोग इन्हीं सम्राट शूरसेन को सैनी जाति के निर्माता मानते हैं सैनी जाति के लोगों का मानना है कि सम्राट शूरसेन से सैनी जाति की वंशावली की शुरुआत हुई ।

Maharaja Shoor Saini
Maharaja Shoor Saini

आज उत्तर भारत की सैनी जाति अपने आप को शूरसैनी जाति के रूप में बुलाना पसंद करती है और इस जाति के लोग गर्व से इन शूरसैनी राजाओं की जयंती मनाते हैं , आप उत्तर भारत के सैनी कस्बों में आमतौर पर देख सकते हो कि महाराजा शूर सैनी जी की मूर्ति या उनके विचारों से जुड़े हुए लोग आपको महाराजा शूर सैनी जी का प्रचार करते हुए मिल जाएंगे , सैनी जाति का एक बड़ा हिस्सा अपने आप को शूरसैनी मानता है ।

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